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Sunday, November 21, 2010

मुहब्बत सच और झूठ में नहीं फसती वो तो दिल से मन के बीच चलती है
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कब तक यू ही दूर भागोगे? कभी तो मुड़कर हमसे नजरे मिलावोगे॥
नजर मिलेगी तो बात भी होगी ॥ ऐसा तो नहीं कि मुह बंद कर मुह चिढावोगे ?
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मै कैसे कहू कि कब तक साथ दूंगा तेरा?
मै तो साया हू जब दिल करे पीछे मुड़कर देख लेना
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अब बस यही दुआ है कि तुम थोडा आराम करो तो मुझे कुछ चैन मिले
साया हू न कभी -कभी थक जाता हू
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2 comments:

Deepak Saini said...

Bhut khoob

Chaitanyaa Sharma said...

बहुत सुंदर लिखा आपने.....



मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.....

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