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Tuesday, November 16, 2010

मेरी प्यारी सखी तेरे विरह कि पाती

मेरी प्यारी सखीः-
चाहे लाख बहारे आये और चली जाए
नई ऋतुए आये, मौसम बदल जाए।
ये मेरी अमर प्रेम की बगिया,
सदा जिंदा और आबाद रहेगी।

चाहे नये दौर का जमाना हो नया,
कोई तूफां आये और दुनिया सिमट जाए।
इस बसेरे की नीव, ईटे मुहब्बत से बनी है
आधार मजबूत और, बेदाग रहेगी।

चाहे जीवन में आये या कोई छोड़कर चला जाए,
कोई अपना बनाकर नये सपने दिखाए।
ये दिल हमेशा तुम्हारा रहा,
जो सदा तुम्हारे लिए धड़का, और धड़कता रहेगा।

बेगानी दुनिया में कोई किसी का पूरे जीवन-साथ नहीं देता,
कोई कुछ पल साथ चलता है, तो कोई हाथ भी नहीं देता।
मेरे मन की डोर तुम्हारे आत्मा से बंधी है,
इसे सदा तुम्हारा इन्तेजार रहा है, और मौत के बाद भी रहेगा।

ये दुनिया बड़ी संग्दिल है बड़ी जल्दी भूज जाती है।
चाहे कोई दिल में घर करे या मन में समाये।
जैसे धड़कनो को घड़काने की जरूरत नहीं होती
मेरी प्यारी सखीः-
तेरी विरह मुझे रूलाती रही है,
और ताउम्र मुझे तेरी याद दिलाती रहेगी।

2 comments:

Deepak Saini said...

बहुत सुन्दर रचना है
किन शब्दो से तारिफ करूं समझ नही आ रहा
भाव विभोर कर दिया
बधाई

ZEAL said...

चाहे जीवन में आये या कोई छोड़कर चला जाए,
कोई अपना बनाकर नये सपने दिखाए।
ये दिल हमेशा तुम्हारा रहा,
जो सदा तुम्हारे लिए धड़का, और धड़कता रहेगा...

Bhaavuk kar dene wali sundar rachna .

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